एक बार बुद्ध ने भिखुओं से कहा ,”संघ का मूलाधार ही सौहार्द है । उन्होंने कहा कि सौहार्द -अर्जन के लिये मैं निम्नवत सिद्धांतों पर विश्वास करता हूँ। 1 चाहे वह हो या घर ,स्थान का सहभागी होना । 2दैनिक जीवन की आवश्यकताओं की मिल -जुलकर पूर्ति करना । 3साथ -साथ शीलों का आचरण करना। 4उन्हीं शब्दों का प्रयोग करना ,जिनसे सौहार्द में वृद्धि हो और ऐसे शब्दों के प्रयोग से बचना ,जिनसे संघ में विखराव आ सकता है । 5 अंतः अनुभूतियों और प्रज्ञा का परस्पर आदान -प्रदान करना । 6 दूसरे के दृष्टिकोण को सम्मान देना और दूसरों को अपना दृष्टिकोण हठात न मनवाना । नमो बुद्धाय ।