सिवान ही प्राचीन कुसीनारा

हिन्दी संस्करण पर बदलें

सिवान ही प्राचीन कुसीनारा

सिवान ही प्राचीनकुसीनारा भगवान बुद्ध के महानिर्वाण से संबंधित तथ्य ।

आंदर बाजार में एडुलुप एकेडमी प्राइवेट लिमिटेड के कार्यालय में शुक्रवार को प्राचीन कुसीनारा पर व्याख्यान किया गया । व्याख्यान का आरम्भ बुद्ध के त्रिरत्न उच्चारण के साथ किया गया ।शोधार्थी कृष्ण कुमार सिंह ने कहा कि वास्तविक कुसीनारा को विभिन्न इतिहासकारों ने अपने अपने अनुसार जगह चिन्हित किया है पर त्रिपिटक व चिनीतीर्थ यात्रियों के वर्णन के अनुसार सिवान का हिरण्यवती नदी का पश्चमी तट का क्षेत्र अधिक प्रासंगिक प्रतीत होता है उन्होंने बताया प्राचीन कुसीनारा के इतिहास में जिन नदियों का वर्णन है वह सिवान में है यथा ककुत्था ( दाहा ) हिरण्यवती ( सोना )सदानीरा ( सरयू )ये तीनों नदिया सिवान में है ।उन्होंने बताया कि यह भी लिखा है कि हिरण्यवती नदी के पश्चिम कुछ दूरी पर भी एक नदी बहती थी जो आज भी झरही नदी के नाम से जानी जाती है ।उन्होंने ने बताया कि चिनीतीर्थ यात्रियों के अनुसार लौरियानन्द गढ़ स्तूप से कुसी नारा की दूरी 12 योजन यानि 144 किलोमीटर था आज भी सिवान की दूरी उतना ही है जबकि कसया कुसीनगर यूपी की दूरी लौरिया नन्द गढ़ से मात्र चार योजन यानि 48 किलोमीटर है ।उन्होंने बताया कि पपौर व तीतिरा में भारतीय पुरातत्व द्वारा परीक्षण उत्खनन में जो पुरातत्विक साक्ष्य मिले सभी मौर्य,कुषाण व गुप्तयुगीन है यानि बौद्ध कालीन है । बौद्ध साहित्य के जानकार मनीष कुमार दुबे ने बताया कि तीतिर स्तूप तीतिरा गांव,हिरन स्तूप हिरौरी गांव,शालवन से संबंधित दर्जनों गांव यथा बंगरा,महुआबारी, अमवसा,मकवानपुर,गूलर बागा,अकोल्ही,सीसहानि,भलुवाही, सेलरापुर, पिपरहिया वही कुसीनारा का किशुनपुर गांव होना , कुइया नगरा के समान मुइया नगर होना तथा मीठा कुँवा पाया जाना साथ ही तीन स्तूपनुमा गढ़ का होना जहाँ एनबीपी डब्ब्लू, धूसर मृदभांड तथा दर्जनों टेराकोटा की मूर्तियां मिलना इसके प्राचीनता का बयान करता है जो ऐतिहासिक बहस का बिषय बनता है । उन्होंने बताया कि पपौर (पावा) से किशुन पुर (कुसीनारा ) की दूरी तीन ग्युति यानि 13 किलोमीटर था जो आज भी वही है । उन्होंने बताया कि बुद्ध का शिष्य आनन्द कुसीनारा को झोपड़ियों का छोटा नगर कहा है वही चिनीतीर्थ यात्रियों ने भी उजाड़ वाटिका कहा है वही अशोक ने भी कुसीनारा में मिट्टी का ही स्तूप बनवाया था ।इस लिहाज से इस क्षेत्र का पूर्ण अन्वेषण कर सही सही जानकारी उपलब्ध करने प्रयास करना चाहिए ।





Leave a Reply