नेता का लक्षण

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एक छात्र ने सवाल किया , गुरु जी पूर्ण नेता कौन है ? गुरु ने जबाब दिया – पूर्ण नेता वह है जो अपने क्षेत्र में सम्पादित हर रचनात्मक कार्यों का श्रेय खुद ले । तथा अपने शब्द ,वचन व व्यवहार से जनता को खुश रहने का प्रयास करें ,भले ही उसका काम न करे पर शब्दों के आशा से उसे बंधे रखे ।हाँ जो असामाजिक कार्य हो उसको तुरन्त नकरात्मक कर दें ताकि जनता में यह मैशेज जाय कि नेता जी ने अमुक गलत कार्यो को प्रश्रय नहीं दिया ।
छात्र – नेता जी लोग कहते है ” मैं सिद्धान्तवादी हूँ ‘सिद्धान्त से समझौता नहीं करता हूँ । गुरु – बिल्कुल ,सिद्धान्तवादी होना अच्छी बात है ,पर आज के राजनीति में इस राग को पकड़े रहना महा मुर्खता व पराजय का कारण है आज न वह जनता है न नेता और न राजनीतिक दल ।फिर भी आप समझौतावादी नहीं बनना चाहते है तो राजनीति में क्या रखा जाकर हिमालय पर तपस्या कीजिए । छात्र – जब राजनीति सेवा है तो इसमें में धन बल की क्या आवश्यकता है ? गुरु – बिना धन का सेवा नहीं हो सकता व बल नहीं रहेगा तो कोई सेवा ही नहीं करने देगा । इसलिये आज की दौर में दोनों आवश्यक है । छात्र – जनता को नेता से क्या चाहिए ? गुरु – जनता भी कई प्रकार की है । 1 दरबारी जनता – इस प्रकार की जनता जिसका भी सरकार हो जय हो जय हो कर अपना काम करवा लेती है क्योंकि वह नेता से भी चतुर होती है । 2 चाटुकार जनता 3 चुंगलखोर जनता 4 स्वाभिमानी जनता 5 आम जनता इसमें 4 व 5 नम्बर की जनता को काम कम आवभाव ,हालचाल ही अधिक पसंद रहता है अन्य चीजों से उसे मतलब नहीं है । छात्र – नेता को क्या क्या करना चाहिए ? गुरु – इसका जबाब तो प्रथम प्रश्न में ही समाहित है ।फिर भी नेता को समय व वचन का पक्का होना चाहिए । किसी कार्यक्रम में जो समय दे दिया हो नियत समय पर पहुंच जाना चाहिए तथा किसी काम का वचन से दिया हो तो उस काम को अवश्य कर देना चाहिए । समय समय पर क्षेत्र भ्रमण करते रहना चाहिए जनता के दुःख -सुख में उसके दरवाजे पर जाना चाहिए । शादी विवाह के अवसर पर भी जाना चाहिए क्योंकि उस अवसर पर क्षेत्र के अधिक से अधिक लोगों से मिलन हो जाता है । युवाओं की संख्या को बढ़ाना चाहिए तथा बड़े व सम्मानित लोगों को अधिक से अधिक सम्मान देना चाहिए ।
सबसे आवश्यक है कि नेता को जिस क्षेत्र में जाना चाहिए उस क्षेत्र के अपने समर्थकों को पहले सूचित कर देना चाहिए ।ऐसा करने से समर्थक भी खुश रहते है व नेता का हवा भी बनता है ।
नेता को क्षेत्र में बहुत ध्यान देना चाहिए कुछ ऐसे भी वाजिब व्यक्ति को रखना चाहिए जो जनता में चल रहे नकरात्मक बातों को भी बताये ।यह तो परम् आवश्यक है ।सब सकारात्मक ही बोलते है । नेता को तब एक दम सतर्क हो जाना चाहिए जब अधिकांश जनता उनके कार्यो की आलोचना करने लगे ।
नेता को लीग्गी नहीं होना चाहिए किसी जनता के पास झुकने से काम बन जाता है तो झुक कर काम निकाल लेना चाहिए । उसके बाद तो उसी को झुकाना है ।
इस बात को हमेशा याद रखें कि जनता किसी का है नहीं ।वह कब कहाँ चली जायेगी इसका ठिकाना नहीं है ।इसलिये चतुर नेता हमेशा उसके नब्ज को टटोलते रहते है ।

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