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तितिर स्तूप की कहानी

तितिर स्तूप की कहानी

बिहार ,सिवान जिले के राजस्व गांव तीतिरा टोले बुद्धनगर बंगरा गांव में हिरण्यवती नदी (सोना नदी ) के पश्चमी तट के निकट स्थित है जो भगवान बुद्ध के बोधिसत्व के रूप में जन्म लेने का स्थान है जिसका वर्णन बौद्ध साहित्य के जातक के अनुसार चीनी तीर्थयात्री ह्वेनसांग ने भी किया है। भगवान बुद्ध के पूर्वजन्म की कथाओं को ध्यान से पढ़ने पर हम पाते है कि सिवान स्थित किसनपुर गांव व मुइया नगर के आसपास का क्षेत्र उनके पूर्वजन्म की कथाओं को पुष्ट करता है ।भगवान ने आयुष्मान आंनद से कहा था -"आंनद यह नगर पूर्वकाल में समृद्ध तथा देश -देशान्तरों में प्रख्यात था ।इसकी अवहेलना नहीं की जा सकती ।मैं यहाँ छह बार मृत्यु को प्राप्त हुआ हूं व सातवें बार आया हूँ "।

1. तीतिर पक्षी के रूप में : अत्यंत प्राचीन काल में इस कुसीनारा के स्थान पर एक बड़ा भारी सघन वन था ।एक दिन अकस्मात बड़ी भारी आंधी आयी और वन में आग लग गयी ।उस समय एक तीतिर पक्षी भी इस शालवन (वन )में रहता था जो इस भयानक विपदा को देख कर दया व करुणा से प्रेरित हो उड़कर एक झील में गया व उसमें गोता लगा पानी भर लाया ।फिर अपने पैरों को फड़ -फड़ाकर उसने उस पानी को अग्नि पर छिड़क दिया ।इससे इंद्र देवता प्रसन्न हुए तथा अपने हाथ में जल लेकर उन्होंने आग पर छोड़ दिया जिससे वह शांत हो गयी । तीतिर का जन्म बोधिसत्व ने ही लिया था ।यह स्थान किसुन पुर व मुइया नगर के पास तीतिरा गांव में है ।यहाँ तीतिर स्तूप बना है और इसी स्तूप के नाम पर तीतिरा गांव का नाम पड़ा हैं ।

2. हिरन के रूप में : बोधिसत्व ने हिरण के रूप में भी यहां जन्म लेकर पशुओं के प्राण बचाये हैं ।यह स्थान भी तीतिरा ही है ।यहां भी हिरण स्तूप है तथा तीतिरा टोला हिरनौली (हिरौरी )गांव भी है ।

3. मछली के रूप में : बोधिसत्व ने मछली के रूप में भी यहां जन्म लिया था ,जो' मोई 'मछली के नाम से प्रसिद्ध है ।तीतिरा गांव के सिवाना पर मुइया एक गांव है ।ग्रामीण बताते है कि यहां ताल में मोई मछली बहुत पायी जाती थी जिसके चलते इस गांव का नाम मुइया पड़ा ।तीतिर स्तूप के पास एक मछरिया मोड़ भी है जहां से एक छोटी नदीका बहती है तथा काफी मात्रा में यहाँ मछली मिलती है ।

4. वृक्ष के रूप में : बोधिसत्व ने वृक्ष के रूप में भी जन्म लिया था ।यही कारण था कि उनके मानव जीवन की घटनाएं वृक्षों से भी जुड़ी हैं ।वृक्ष के नीचे जन्म ,ज्ञान व निर्वाण ।निर्वाण शालवन उपवतन में वृक्ष के नीचे हुआ था जो स्थान तीतिर स्तूप के निकट था । यहाँ आज भी वृक्ष से सम्बंधित दर्जनों गांव व टोला है यथा - बंगरा ,महुआबारी ,नवलपुर ,मालक पुर ,अमवसा ,बारी टोला ठेपहा, गूलर बागा ,अकोल्ही ,भलुवहीँ ,सीसहानि ,सेलरापुर ,पिपरहिया आदि गांव ।

5. कछुए के रूप में : बोधिसत्व ने कछुए के रूप में जन्म ले ,हिरण की रक्षा किए थे ।

6. महाराज कुश के रूप में :पूर्व काल में कुसीनारा का नाम कुशावती था ।यहाँ इक्ष्वाकु ( ओक़् काक ) नामक राजा राज्य करते थे ।राजा बोधिसत्व ही थे ।आज भी किसुनपुर नामक गाँव हैं ।

7. चक्रवर्ती राजा महासुदर्शन के रूप में : पूर्वकाल में महासुदर्शन नामक चारोंदिशाओं पर विजय पाने वाला चक्रवर्ती राजा था ।महासुदर्शन की यही कुसीनारा नाम की राजधानी थी ।बोधिसत्व ही चक्रवर्ती राजा के रूप में जन्म लिए थे ।तीतिर स्तूप व तीतिरा गांव का पश्चमी सिवाना पर विजयीपुर नगर भी है ।

इस बात की पुष्टि अंग्रेज पुरातत्ववेदा डब्ब्ल्यू होय , कृष्ण कुमार सिंह की पुस्तक 'प्राचीन कुसीनारा एक अध्ययन 'पृष्ट 19व 35 -40 ।सारण व बिहार डिस्ट्रिक्ट गजेटियर ,डायरेक्टरी ऑफ बिहार आर्कियोलॉजी बीपी सिन्हा, सिवान जनपद पर एक संदर्भ ग्रंथ सोनालिका ,केपी जयसवाल शोध संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ जगदीश्वर पांडेय, डॉ डीआर पाटिल का पुस्तक एन्टीक्वेरियन रिमेन्स इन बिहार,पृष्ठ 37,इंडियन कल्चर ,अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ ,हिंदी व उर्दू अखबार क्रमशः दैनिक जागरण,हिंदुस्तान,प्रभात खबर,दैनिक भाष्कर ,राष्ट्रीय,सहारा ,आज ,जनादेश एक्सप्रेस ,तरंग मीडिया ,तंजीम,सिवान जिला प्रशासन द्वारा प्रकाशित स्मारिका एवम पत्रिका स्वत्व,एटीएन,दर्शन न्यूज़ ने सिवान के जीरादेई प्रखण्ड के राजस्व गांव तीतिरा टोले बुद्धनगर बंगरा गांव में चिन्हित किया है ।वही तीतिर स्तूप का वर्णन महावंश 21, 1-6,दीप वंश 3,32-33,दीघनिका 2/4,कुश जातक 531,हुएनसांग का भारत भ्रमण पृष्ट305,पृष्ट 306-7 vin, M V. K h-I जातक (Kh,10 )सिउन त्सी, प्रो युआन किंग (T-200 )पूर्णमुखावदनाष्टका, लियो तोऊ त्सी किंग (T, I52 ),चे किंग ( T.154 ),हिन्द पॉकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित "जह -जह चरन परे गौतम के "पृष्ठ 147,205 आदि में दर्ज है ।

गौतम बुद्ध

गौतम बुद्ध का जन्म 563 ई पूर्व में कपिलवस्तु के लुम्बनी नामक स्थान में हुआ था ।इनका महापरिनिर्वाण 80 वर्ष की अवस्था में 483ई पू में कुसीनारा सिवान बिहार में हिरण्यवती नदी के पश्चमि तट के निकट तीतिर स्तूप तीतिरा गांव के टोला बुद्ध नगर बंगरा में हुआ था ।

खोज

तीतिर स्तूप व महापरिनिर्वाण स्थल की पहचान 1899 ई में सर्वप्रथम अंग्रेज पुरातत्व वेदा डब्ब्ल्यू होय ने किया था तब से इस स्थान की ख्याति होने लगी। 2009 से शोधार्थी कृष्ण कुमार सिंह के प्रयास से काफी चर्चित हुआ है तथा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इस स्थल का परीक्षण उत्खनन किया तथा इसे महत्वपूर्ण स्थल बताया ।

स्थान

सिवान मुख्यालय से 10 किलोमीटर ककुत्था तथा हिरण्यवती नदी से पश्चिम राजस्व गांव तीतिरा टोले बुद्धनगर बंगरा गांव में सिवान -मैरवा मुख्य मार्ग पर स्थित है । सिवान रेलवे स्टेशन से पश्चिम जीरादेई स्टेशन व मैरवा स्टेशन से पूरब करछुई हाल्ट स्टेशन के मध्य बंगरा रेलवे ढाला से सटे पश्चिम स्थित है ।यहाँ भगवान बुद्ध का मंदिर भी है ।